गहनतम मर्मलाई,
सरलतम शैलीमा गाउनु-
गीता गायन गायत्री!
गाइन्छ गायत्री साँझ, विहार
प्रहर प्रहर आठै प्रहर!
गेय-गुण-श्री...!
उच्चतम् उपलब्धि श्री!
सकर्मक मनश्री, चित्तवृत्ति श्री!
सङ्कल्प श्री! सङ्कल्पित दृढ मन श्री!
भुक्ति-मुक्ति श्री! निष्काम समर्पण श्री!
सबैका सार गीता गेय श्री!
जीवन जगत् श्री!
प्रकाशित: २६ कार्तिक २०७९ ०२:१६ शनिबार